एटीट्यूड बदल गया ? CHANGE OF ATTITUDE OR BEHAVIOR

जय हिंद साथियों , 
                             क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आपके आसपास रहने वाले लोगों का ,आपके पड़ोसी का ,आपके परिवार का ,आपके रिश्तेदारों का ,आपके मित्रों का एटीट्यूड आपके प्रति बदल गया है ? 
यदि आपको वास्तव में ऐसा लगता है , तो एक बार इस शब्द के मूल अर्थ को अवश्य समझ ले ; तभी कोई निर्णय ले , कहीं ऐसा ना हो कि आप भी एटीट्यूड को बिहैवियर समझ लें और ऐटिट्यूड का सही मतलब ही ना पता हो और अपने संबंधों को इग्नोर/नजरअंदाज करने लगे, फिर एक समय के बाद अपना रिश्ता तोड़ ले।

 आइए सबसे पहले साधारण शब्दों में एटीट्यूड और बिहेवियर को अलग-अलग समझ लेते हैं ।
 सबसे पहले अगर हम बिहेवियर की बात करें तो बिहेवियर को भारतीय भाषा में किसी व्यक्ति के व्यवहार, ढंग और स्वयं को प्रस्तुत करने के तरीके को कहते हैं , उदाहरण के लिए अगर हम इसको और सरल भाषा में समझे तो कुत्ते का व्यवहार है भौंकना , वह प्रत्येक व्यक्ति के लिए हर एक प्रतिक्रिया पर भौंकने का कार्य करता है ,उसके सामने कोई भी पशु -पक्षी, मनुष्य आ जाए तो वह उसके लिए भौंकेगा ही ; यही उसका व्यवहार है । 
व्यवहार प्रत्येक दशा में हर एक व्यक्ति के लिए एक जैसा होता है । कोई अपना काम निकालने के लिए सदैव डराने धमकाने का या बल का प्रयोग करता है, कोई अपना काम निकालने के लिए हमेशा मीठी-मीठी बातें करता है, कोई अपना काम निकालने के लिए हर बार धन का उपयोग करता है - इसी तरीके को व्यक्ति विशेष का व्यवहार कहते हैं, यह हर परिस्थिति में हर किसी के लिए एक जैसा रहता है-- अतएव हम सब ने किसी न कैसी व्यक्ति विशेष के लिए यह अवश्य ही सुना होगा कि " उनका व्यवहार नही अच्छा है" । 

 अब बात करते हैं एटीट्यूड की, एटीट्यूड को सामान्य भारतीय भाषा में अभिवृत्ति कहते हैं यानी की 'धारणा' जब हम किसी व्यक्ति के लिए अपने दिमाग में कोई धारणा बना लेते हैं , कि यह व्यक्ति ऐसा ही है ,उसका रवैया ऐसा ही है -- तो हम सामने वाले के प्रति उसके एटिट्यूड को अपने दिमाग में बिठा लेते हैं- उदाहरण के तौर पर अगर हम समझे तो, मान लीजिए एक बच्चा आपसे जब भी मिलता है तो आपसे बहुत प्रेम से बात करता है और सदैव ही आपसे एक टॉफी लेकर के आपको धन्यवाद कह कर चला जाता है , यानी कि उस बच्चे के प्रति आपके अंदर यह धारणा बनी है कि- वह बच्चा आपसे प्रेम से बात करता है ,एक टॉफी लेता है और चला जाता है; लेकिन एक निश्चित समय के अंतराल के बाद में जब वही बच्चा फिर आपसे मिलेगा तो हो सकता है कि वह ना तो आपसे मीठी बातें करे और ना ही आपसे वह टॉफी मांगे , ऐसे में उस बच्चे के प्रति आपकी धारणा बदल जाएगी, और आपको लगेगा कि बच्चे का एटीट्यूड बदल गया है, जबकि हो सकता है कि उस बच्चे को अब टॉफी खाने से मना किया गया हो, या उसका आज टॉफी खाने का मन ही न हो , इसीलिए वह आपसे अब मीठी बातें भी नहीं कर रहा है। 
 इसको एक अन्य उदाहरण से भी हम समझने का प्रयास करते हैं -: जैसे किसी युवक की नई-नई शादी हुई और उसकी दुल्हन घर आ गई , अब जब उसकी दुल्हन घर आ गई है तो उसे स्वाभाविक रूप से अपनी दुल्हन के लिए भी कुछ समय निकालना पड़ेगा , ऐसे में हो सकता है कि वह अपनी भाभी और अपनी मां के लिए समय ना निकाल पाए या पहले से कम समय उनके लिए दे , जबकि पहले वह अपनी मां के प्रति और भाभी के प्रति काफी ज्यादा समर्पित था और अधिक समय दे रहा था, ऐसे में हो सकता है कि उसकी मां और भाभी यह समझ ले कि मेरे बेटे का, मेरे देवर का मेरे प्रति एटीट्यूड बदल गया है ; किन्तु यहां पर परिस्थितियों के कारण उसे अपने समय में से ही कुछ समय निकाल कर अपनी दुल्हन को भी संतुष्ट करना है । 

 मनोवृत्ति या एटीट्यूड वह तरीका है जिससे कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट व्यक्ति के, स्थान के, क्रिया या अनुभव के बारे में सोचता या महसूस करता है। व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य में एटीट्यूड या रवैया किसी व्यक्ति की विशेष भावनाओं और उसकी किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु के प्रति उसके कार्य करने के तरीके का दर्पण है । 

 मनोविज्ञान के अनुसार एटीट्यूड को 4 भागों में बाँटा गया है सकारात्मक या Positive Attitude नकारात्मक या Negative Attitude उदासीन या Neutral Attitude और सिक्वेन अभिवृत्ति Sikkven Attitude एटीट्यूड से व्यक्ति की पहचान बनती है। उसी से पता चलता है कि आपकी सोच क्या है, प्राथमिकता क्या है और सबसे बढ़कर आपकी निर्णय लेने की क्षमता कितनी है। ऐसे व्यक्ति में सिर्फ निर्णय लेने की क्षमता ही नहीं देखी जाती, बल्कि यह भी देखा जाता है कि वह उस निर्णय पर कायम कितना रहता है। 

पॉजिटिव एटीट्यूड वाला व्यक्ति उन्हें नज़र अंदाज़ करता है , जो लोग उसके बारे में बुरा बोलते है या सोचते है, क्योकि ऐसे लोगों की सोच को तो हम बदल नहीं सकते लेकिन हम उन्हें नज़रअंदाज़ (Ignore) कर सकते है और स्वयं पे focus कर सकते है । पॉजिटिव एटीट्यूड वाला व्यक्ति ; अपनी जिम्मेदारियां खुद लेता है , बिना किसी तनाव के जीता है किसी के ऊपर निर्भर नही रहता आत्मविश्वास से भरा होता है अपने आपको बेहतर बनाने की कोशिश करता रहता है , और अपनी आलोचना सुनना पसंद करता है , ऐसा व्यक्ति स्वयं को किसी से अधिक होशियार तो नही समझता किन्तु स्वयं को किसी से कम भी नही समझता ।दृढ़ निश्चय ( Determination ), खुशी ( Happiness ), निष्ठा या ईमानदारी ( Sincerity ) और विश्वास ( Confidence ) ये चार सूत्र ही मुख्य तौर पर सकारात्मक दृष्टिकोण या मानसिकता के लिए जिम्मेदार होते हैं । मतलब कि ऐसे लोग जो अधिक से अधिक अच्छे के बारें में सोचते हों चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, जो बिना किसी स्वार्थ के हर व्यक्ति के साथ अच्छे से पेश आएं, जिनका दिखावा रहित एक स्पष्ट नजरिया हो और जिन्हें खुद पर विश्वास हो वो सब पॉजिटिव एटीट्यूड की श्रेणी में आते हैं ।

 Negative Attitude का अर्थ होता है जीवन में हर चीज को नकारात्मक या गलत दृष्टिकोण से देखना । नेगेटिव एटीट्यूड की सबसे बड़ी पहचान है व्यक्ति में बेवजह का अंहकार । ऐसे लोग हर वक्त सिर्फ खुद को सही साबित करने में लगे रहते हैं जिसकी वजह से वो कभी भी दूसरों की राय का सम्मान नहीं कर पाते परिणामस्वरूप अधिकांश लोग उनसे दूरी बना लेते हैं ।
 सिक्केन रवैया, सबसे कठिन प्रकार की मनोवृत्तियों में से एक यह है। यह नकारात्मकता और आक्रामकता की निरंतर स्थिति को दर्शाता है। इस रवैये को नियंत्रित करना मुश्किल है क्योंकि यह लोगों के व्यक्तित्व में निहित है और लोगों के लिए अपने विचारों को महत्वपूर्ण रूप से बदलना मुश्किल होता है। किसी संरचना को बदला नहीं जा सकता. इसलिए कुत्सित मनोवृत्ति वाले लोगों को केवल परिवर्तन के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। यह आमतौर पर विचार की नकारात्मकता को दर्शाता है। खुद को और अपने आसपास के लोगों को बेहतर बनाने के लिए आपको यह रवैया छोड़ना होगा। इन्हें सुधारना अक्सर कठिन होता है क्योंकि यह रवैया व्यक्तित्व में निहित होता है। हालाँकि, समय के साथ, इस स्थिति को बदलते देखा गया है । 

 सामने वाले को हम दृष्टिकोण के तीन घटक से देखते हैं भावात्मक घटक (भावनाएँ), एक व्यवहारिक घटक (व्यवहार पर दृष्टिकोण का प्रभाव), और संज्ञानात्मक घटक (विश्वास और ज्ञान)। 
         अभिवृत्ति को व्यवहार से पूर्व की मनोदैहिक अवस्था या प्रवृत्ति के रूप में हमने समझा है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इस प्रकार की अन्य अवस्थाओं या प्रवृत्तियों जैसे आदत, रूचियों, शीलगुण और मूल अभिप्रेरकों को भी अभिवृत्तियों का नाम दिया जाना चाहिये? उत्तर है, हाँ। 
अभिवृत्ति इन सभी विशेषताओं से अलग प्रवृत्ति है। आगे दी गई विशेषताओं से इसकी प्रकृति को समझने में सहायता मिलेगी- अभिवृत्तियों / एटीट्यूड में व्यक्ति-वस्तु सम्बन्ध पाया जाता है (Attitudes have a subject object relationship.) किसी भी विशेष वस्तु, व्यक्ति, समूह, संस्था, मूल्य अथवा मान्यता के प्रति बनी हुई अभिव्यक्ति-इन सभी के प्रति व्यक्ति का कैसा सम्बन्ध है यह स्पष्ट करती है। अभिवृत्तियां / एटीट्यूड अर्जित होती है (Attitudes are accquired or learned) कोई भी अभिवृत्ति / एटीट्यूड जन्मजात नहीं होती, वातावरण में उपलब्ध अनुभवों के द्वारा अर्जित की जाती है। इस आधार पर अभिवृत्तियों / एटीट्यूड को मूल अभिप्रेरणाओं से अलग किया जा सकता है।

 उदाहरण के लिये 'भूख' को ही लीजिये जो जन्मजात प्रवृत्ति है। इसे सीखा नहीं जाता जबकि किसी विशेष प्रकार के भोजन के प्रति हमारा झुकाव एक अर्जित प्रवृत्ति के नाते अभिवृत्ति का स्वरूप ले लेता है। अभिवृत्तियां / एटीट्यूड तत्परता की अपेक्षा स्थायी अवस्था हैं (Attitudes are relatively enduring states of readiness) किसी वस्तु के प्रति व्यक्ति की स्वाभाविक तत्परता जिसे अभिवृत्ति / एटीट्यूड के नाम से जाना जाता है, उसका स्वरूप बहुत कुछ स्थायी होता है। 
                      भूख और कामोत्तेजना (Sex ) सम्बन्धी तत्परता आवश्यकता पूर्ति के साथ समाप्त हो जाती है , जबकि पत्नी के प्रति या उसके आकर्षण का अभिवृत्ति / एटीट्यूड कामेच्छा की संतुष्टि के बाद भी बनी रहती है। अभिवृत्तियों / एटीट्यूड के विकास या बदलाव में किसी अभिप्रेरणा का हाथ होता है , जबकि आदत आदि अन्य प्रवृतियों में यह आवश्यक नही। 
                                उदाहरण के लिये सीधे हाथ से या उल्टे हाथ लिखने की आदत को ही लें तो इसे एटीट्यूड से जुड़ा हुआ नहीं माना जा सकता। दूसरी ओर अपने परिवार, राष्ट्र, धर्म और अंन्य पवित्र एवं प्रतिष्ठित संस्थाओं के प्रति बनी हुई अभिवृत्तियों / एटीट्यूड में किसी प्रेरणा या प्रभाव से पूरी तरह परिवर्तन सम्भव है। देशकाल, समय और परिस्थिति के कारण किसी व्यक्ति के एटीट्यूड में उसकी अभिवृत्ति में अगर आपको कोई परिवर्तन नजर आता है तो कृपया उसको बारीकी से अध्ययन करें कहीं जल्दबाजी में आप उसके प्रति अपनी एक नई धारणा अपने दिलों दिमाग में न तैयार कर ले ।

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