शब्दों के स्त्रोत words come from ?
🤔 *शब्द निकलते कहाँ से है* 😷
🤔🤔 आज मैं यूं ही सोच रहा था कि जब हम किसी से बात करते हैं तो *शब्द* निकलते कहाँ से है , क्योकि कभी कभी ऐसा होता है कि हम क्या कहने जा रहे हैं वो प्रीप्लांड होता नही है ।
*हम जब किसी से बात करते हैं तो दो स्थितियों में शब्द बाहर निकलते हैं*
👉 *पहली स्थिति* जब हम किसी विषय विशेष पर बात करते हैं तो *शब्द* उसी विषय के इर्द गिर्द घूमते रहते हैं, *जैसे* व्यापार के लिए बात करते समय मस्तिष्क सिर्फ व्यापार सम्बन्धी शब्द प्रेषित करता है , की व्यापार कितने प्रकार का होता है, क्या क्या है, कैसे करते है, कहाँ करें, आदि आदि
👉 *दूसरी स्थिति* बिना किसी विषय विशेष के *शब्दो* का निकलना
*इसमें भी दो परिस्थिति होती है*
*1* 👉 *मन किस अवस्था मे है - शांत या क्रोधित*
*2* 👉 *हम जिससे बात कर रहे हैं उसका मन किस अवस्था में है -- शांत या क्रोधित*
👉 *पहली अवस्था में जब हमारा मन शांत होता है तब मष्तिष्क वही 🧠 *शब्द* 🗣 *प्रेषित करता है जो सामने वाले को अच्छा लगे या उसकी प्रश्न प्रकृति से मेल खाता हो* ।
*किंतु यदि हमारा मन अशांत रहता है तो मष्तिष्क वही *शब्द* *प्रेषित करता है जो सामने वाले के लिये धारणा के रूप में दबे हुए है, जिन्हें हम शांत मन से नही कह सकते , ऐसे शब्द आवश्यक नही है कि प्रश्न की प्रकृति से मेल खाते हो* ।
👉 *दूसरी अवस्था मे जब सामने वाले का मन शांत होता है तब उसके मष्तिष्क से निकले शब्द हमारे मष्तिष्क पर भी वही प्रभाव डालते हैं (और हमारा मष्तिष्क शांत अवस्था में परिवर्तित होने लगता है ) तब हमारा मष्तिष्क भी उन्ही शब्दो को प्रेषित करता है जो हमारे लिए हितकर और उसके लिए प्रिय हो*
*अंततः विवाद शांत हो जाता है*
🧠 *किंतु जब सामने वाले का मन अशांत हो उस दशा में जो *शब्द* *वहां से निकलते हैं वो हमारे मष्तिष्क पर भी वही प्रभाव डालते हैं और हमारे मन को भी अशांत कर देते हैं इस दशा में मष्तिष्क से उन्ही शब्दों का प्रेषण होता है जिनका प्रश्न की प्रकृति से कोई मेल नही होता*
*अंततः विवाद हो जाता है*
*( लेख के वाक्य पूर्ण रूप से नवसृजित है ,किसी अन्य लेख से इनका मिलान मात्र एक संयोग होगा - ज्ञान प्रकाश मिश्र *बाबुल* , *शिक्षक , लैपिड्री ट्रस्ट )*
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Good
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