Corona effects on environment पर्यावरण पर कोरोना और लॉक डाउन का प्रभाव

*विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस 🌏 आज कोरोना वायरस को धन्यवाद देने का दिन है इस पर्यावरण दिवस पर प्रकृति ने प्रकृति को अमूल्य तोहफा दिया है*

🙏 *यह लेख स्वतंत्र स्तम्भकार ज्ञान प्रकाश मिश्र जी के शोध अध्ययन पर आधारित है , विश्व मे प्रकाशित विभिन्न शोध पत्रों के निष्कर्ष पर यह तथ्य प्रस्तुत किये गए हैं* ✍️

🔇🔕🔁♻️🚯📵🚭♨️🆑✈️🚉🚚🌋

पर्यावरण दिवस 1974 में पहली बार आयोजित किया गया था और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 5 जून को मनाया जाता है। यह पर्यावरण से संबंधित मुद्दों जैसे वायु प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, जनसंख्‍या बढ़ोतरी आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था 
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इस बार का पर्यावरण दिवस बीते कई वर्षों की तुलना में कुछ बेहद खास है ,नवीन है 
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इस बार तो पर्यावरण एकदम साफ-सुथरा, स्वच्छ और परिष्कृत रूप में है।
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कोरोना वायरस से मानवता को जरूर बड़ा नुकसान हुआ है लेकिन पर्यावरण पर इसका सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है
👉👉 *जब मानव लॉक 🚷हुआ तब .....................*

*वाहन बन्द,कारखाने बन्द,प्रदूषण बन्द,धुंआ बन्द,शोर बन्द*

💐💐परिणाम स्वरूप 💐💐

👉 जो ओजोन परत दिन प्रतिदिन क्षय हो रही थी जिसे हम जीवन मे कभी रिपेयर करने की सोच भी नही सकते थे, जिसके विकल्प दुनिया मे तलाशे जा रहे थे, जिसे हम दूसरी वैकल्पिक कृत्रिम ओजोन से ढकने की सोंच रहे थे , जिसे बचाने के लिए हम कोई छतरी - पन्नी- छत नही लगा सकते थे वह *ओजोन परत पुनर्जीवित हो गई*

👉 कचरे का प्रदूषण कम होने से और जल प्रदूषण कम होने से नदी का जल स्वच्छ हो गया ,नदियों में नया वनस्पति जीवन जन्म ले चुका है ,जल जीवों की संख्या बढ़ गई है , जल में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक हो गई है , दिल्ली - आगरा की यमुना, लखनऊ की गोमती के जल रंग में 50% तक बदलाव आया है

👉 हवा में धुंआ कम हुआ वाहन,फैक्ट्री बन्द होने से स्वशन योग्य वायु शुद्ध हुई है *इसी परिणाम स्वरूप ओजोन परत के छिद्र कम हो गए हैं जो अधिक फैल गए थे जिनके जीर्ग होने से पराबैंगनी किरणे मनुष्य,जीव,वनस्पतियों को नुकसान पहुंचा रही थीं उनका धरती पर पहुंचना कम हुआ है*

👉 हमारा हिमालय और बहुत सी पर्वत श्रृंखलाएं जो तिल तिल मृत प्राय थी उनमे प्रकृति ने नव प्राण शक्ति भर दी, हमारे पिघलते ग्लेशियर शांत हो गए 


👉 भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य स्वयं के लिए, परिवार के लिए, बच्चों के लिए समय नही निकाल पा रहा था जिसके कारण सभी के मन मष्तिष्क में कुणठा , असंतुष्टि की भावना घर कर गयी थी उसका विनाश हुआ और प्रेम का प्रसार हुआ

👉शोर कम हुआ 
👉 वनस्पतियों का पुनर्विकास हुआ , पौधों की नई वंशावली तैयार हो गई
👉 जन सामान्य का कृषि के प्रति प्रेम बढ़ा, कृषकों के प्रति आदर की भावना जागृत हुई
👉भारत की सनातन संस्कृति को विश्व ने स्वीकार किया, विज्ञान की मान्यता मिली विशेष तौर पर नमस्ते 🙏 को , आयुर्वेद को ।


✍️✍️ आज के लिए इतना ही ,फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ ,तब तक के लिए -- जय हिंद

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