आशा के दीप

आओ सब मिल दीप जलाएं ।
 समय हो चला तिमिर भगाएं ।। 
चलो चलें घर की चौखट पर । 
एक दूजे को आस बंधाए ।। 
 अनदेखा अनजाना सा डर । 
जाने कौन दिशा से आया ।।
 मानव के प्रति मानव में है । 
स्पर्श,घृणा,भय का साया ।।
 सब में नव उत्साह जगाएं । 
आओ सब मिल दीप जलाएं ।।
 कुछ तो दंड विधाता का है ।
 कुछ संस्कृति का है तिरस्कार ।। 
छोड़ा शाक, गृह, प्रक्षालन ।
 नित योग,ध्यान और नमस्कार ।। 
सब आर्य धर्म को अपनाएं । 
आओ सब मिल दीप जलाएं ।।
 विश्वास करो निज *बाबुल* पर ।
 कर्तव्य हो, आज्ञा पालन हो ।। 
जो सक्षम है धन धान्य भरा ।
 मानव से मानव - लालन हो ।।
 निज में मातृत्व का भाव जगाएं । 
आओ सब मिल दीप जलाएं ।।
 फिर लौटेगा वह समय *ज्ञान* । 
सब अधरों के पट खोलेंगे ।। 
घननाद,कबड्डी ,किलकारी । 
सब-मिल अजान हम बोलेंगे ।।
 जन जन का मन सब बहलायें ।
 आओ सब मिल दीप जलाएं ।।

 आओ सब मिल दीप जलाएं ।
 समय हो चला तिमिर भगाएं ।।
 चलो चलें घर की चौखट पर । 
एक दूजे को आस बंधाए ।। 
 *---ज्ञान प्रकाश मिश्र'बाबुल'* 🙏💐💐💐💐💐💐💐🙏

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