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Showing posts from 2024

शरद पूर्णिमा SHARAD POORNIMA KI KHEER

आश्विन पूर्णिमा/शरद् पूर्णिमा / कोजागिरी पूर्णिमा  ====================== शरद ऋतु की पूर्णिमा को शरद् पूर्णिमा कहते हैं. हिन्दू धर्म में शरद् पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. शरद् पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चांदनी रात में रखने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. ऐसा माना जाता है ऐसा करने से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं जिसे ग्रहण करने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिन खीर बनाने का तरीका बाकी दिनों की तुलना में थोड़ा अलग होता है. शरद् पूर्णिमा के दिन खीर बनाने के लिए व्यक्ति को कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है. जिसकी अनदेखी करने पर व्यक्ति को इस व्रत का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. आइए जानते हैं क्या है इस दिन खीर से जुड़े ये कुछ खास नियम। *खीर का बर्तन कैसा हो* ============≈===== सबसे पहले खीर बनाते समय या चांदनी रात में रखने से पहले उसके पात्र का ध्यान रखें. शरद् पूर्णिमा के दिन खीर किसी चांदी के बर्तन में रखें. यदि चांदी का बर्तन घर में मौजूद न हो तो खीर के बर्तन में एक चांदी का चम्मच ही डालकर रख दें. इसके अलावा आप खीर रखने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के ब...

भारत 'रतन ' टाटा BHARAT 'RATAN' TATA

 रतन टाटा    देश के बड़े उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था। हालांकि 8 oct.2024  को  दोपहर में रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी कि वह ठीक हैं और पोस्ट में लिखा था कि वो अस्पताल में रूटीन चैकअप के लिए गए थे। उन्होंने कहा कि मेरी चिंता करने के लिए सभी का धन्यवाद, लेकिन मैं एक दम ठीक हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। 28 दिसंबर 1937 को हुआ था जन्म देश की जानी मानी हस्ती रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से भी सम्मानित किए जा चुका है। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को सूरत में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम नवल टाटा और सूनी कमिसारीट था। जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब वे अपने माता पिता से अलग हो गए थे। उसके बाद उन्हें जेएन पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने औपचारिक रूप से गोद ले लिया था। रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के...

शिक्षक दिवस Teachers day

भारत का गौरवशाली इतिहास, भारत की महान शिक्षक परम्परा में शिक्षक बनना सबसे बड़ा उत्तरदायित्व हैं, क्योंकि एक शिक्षक वह दिशा सूचक है जो जिज्ञासा, ज्ञान और बुद्धिमानी के चुम्बक को सक्रिय बनाता है। डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन =================≈======  ०५ सितंबर १८८८ को चेन्नई से लगभग २०० किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एक छोटे से कस्बे तिरुताणी में डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था। रामास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे और तिरुताणी कस्बे के जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के समान कार्य करते थे। डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय अत्यंत सीमित थी। इस सीमित आय में भी डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद के रूप में ख्याति प्राप्त की,बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर...

पति; परमेश्वर या दास ?

एक कहावत तो आप सब ने जरूर सुनी होगी कि हर कामयाब इंसान के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है, पर क्या आपने कभी यह सुना है कि हर नाकामयाबी के पीछे स्त्री का हाथ होता है -- शायद नहीं सुना होगा, इस विषय पर मैंने इतिहास को खंगाला और अपने सनातन ग्रंथों का भी अध्ययन किया तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इंसान विशेषकर पुरुष चाहे वह सुर हो या असुर, अमीर हो या गरीब, चाहे जैसा भी हो उसके सुख- दुख,हानि -लाभ,यश-अपयश, कामयाबी - नाकामयाबी में स्त्री एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, शायद इसीलिए स्त्री को देवी और नारी को शक्ति का स्वरूप माना गया है, जो सर्व सिद्धि दात्री है । पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारे सनातन संस्कृति और वैदिक धर्म मे पति को देव या पति को परमेश्वर माना गया है किन्तु क्या उन्हें वह दर्जा मिलता है ? विशेषकर इस आधुनिक युग में , 21वीं सदी में , क्या स्त्रियां अपने पति को परमेश्वर मानती हैं ? आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे तो आइए शुरुआत करते हैं ।  आज भी हमारे समाज में स्त्रियां अपने पति को परमेश्वर मानती हैं, यह सही है, यथार्थ है, कटु सत्य है - अपने पति को देवता मान करके उनक...

एटीट्यूड बदल गया ? CHANGE OF ATTITUDE OR BEHAVIOR

जय हिंद साथियों ,                               क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आपके आसपास रहने वाले लोगों का ,आपके पड़ोसी का ,आपके परिवार का ,आपके रिश्तेदारों का ,आपके मित्रों का एटीट्यूड आपके प्रति बदल गया है ?  यदि आपको वास्तव में ऐसा लगता है , तो एक बार इस शब्द के मूल अर्थ को अवश्य समझ ले ; तभी कोई निर्णय ले , कहीं ऐसा ना हो कि आप भी एटीट्यूड को बिहैवियर समझ लें और ऐटिट्यूड का सही मतलब ही ना पता हो और अपने संबंधों को इग्नोर/नजरअंदाज करने लगे, फिर एक समय के बाद अपना रिश्ता तोड़ ले।  आइए सबसे पहले साधारण शब्दों में एटीट्यूड और बिहेवियर को अलग-अलग समझ लेते हैं ।  सबसे पहले अगर हम बिहेवियर की बात करें तो बिहेवियर को भारतीय भाषा में किसी व्यक्ति के व्यवहार, ढंग और स्वयं को प्रस्तुत करने के तरीके को कहते हैं , उदाहरण के लिए अगर हम इसको और सरल भाषा में समझे तो कुत्ते का व्यवहार है भौंकना , वह प्रत्येक व्यक्ति के लिए हर एक प्रतिक्रिया पर भौंकने का कार्य करता है ,उसके सामने कोई भी पशु -पक्षी, मनुष्य...

जिगना की पाती,जिगना के नाम

पत्र दिनांक - संवत 2080 ,                               बसंत पंचमी आज जब मैं यह लेख लिख रहा हूं तो मेरे चारों ओर बसंत पंचमी के पर्व पर निकले नव किसलय, मुझे अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं , ऐसा नहीं है कि यह नव किसलय पहली बार निकले हैं, प्रत्येक वर्ष ऐसे ही बसंत पंचमी पर नव किसलए आते हैं -- लेकिन उससे पहले पतझड़ इन पेड़ पौधों को अपनी मार से और मौसम अपनी प्रताड़ना से इनको आघात पहुंचा चुके होते हैं , एक लंबे इंतजार के बाद, इन्हें इस सुख की अनुभूति होती है ।   इन चंद शब्दों से आप एक बात तो समझ ही गए होंगे कि हर एक मौसम का एक निश्चित समय होता है , एक निश्चित समय के बाद में समय सबका आता है । मेरे प्रिय जिगना परिवार के साथियों, आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रहा हूं यह शब्द ना सिर्फ आपके व्हाट्सएप पर पहुंच रहे हैं, बल्कि मेरी ब्लॉग पर अगले कई वर्षों तक के लिए अजर अमर होने वाले हैं , मैं नहीं रहूंगा उसके बाद भी यह शब्द वहां पड़े रहेंगे , और आने वाली पीढ़ियां अगर कहीं से इसका लिंक पा जाएंगी ,तो इसे फिर से प...

15 अगस्त,26 जनवरी - अमर रहे या जिंदाबाद

सभी देशवासियों को जय हिंद ,  आप सब ने शेखचिल्ली की कहानी जरूर पढ़ी होंगी और चार्ली चैप्लिन के वीडियो भी खूब देखे होंगे अगर नहीं देखे हैं, तो आगे का लेख पढ़ने से पहले एक बार चार्ली चैपलिन की वीडियो देख ले और शेखचिल्ली की कहानी पढ़ ले , चार्ली चैपलिन लोगों को हंसाने के लिए करतब दिखाया करते थे, और शेख चिल्ली लोगों की बातें सुनकर के लोगों को देखकर के अपने काम किया करता था - और उसकी यही हरकते लोगों को हंसने का अवसर देती थी ........................... जैसे एक बार वो गधे पर बैठ कर जा रहा था, कुछ लोगों ने यह देखकर कहा कि इतना भारी भरकम शरीर लिए गधे पर क्यों लदे हो , यह सुनकर के शेखचिल्ली पैदल चलने लगा , कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद लोगों ने कहा कि गधा लिए हो फिर भी पैदल चल रहे हो- तो वह दोबारा बैठ गया . यही हाल कुछ मामलों में हमारे देशवासियों का भी है।              साथियों , बरसों से हम स्कूलों में और आज भी स्वतंत्रता दिवस अमर रहे, 26 जनवरी अमर रहे , महात्मा गांधी अमर रहे , पंडित जवाहरलाल नेहरू अमर रहे , चंद्रशेखर आजाद अमर रहे , शहीद अशफाक अमर रहे ,...