A TRUTH OF VALENTINE DAY 14 FEBRUARY, fourteen Fact about 14 FEBRUARY ,14 फरवरी के चौदह सत्य

 *💐💓 14 फरवरी💓💐*

*A TRUTH OF VALENTINE DAY 14 FEBRUARY*

*💐रोचक तथ्य और विश्लेषण 💐*


*✍️ लेखक - ज्ञान प्रकाश मिश्र 'बाबुल'*


*14 फरवरी के 14 सत्य*


 14 फ़रवरी अनेक देशों में अनेकों लोगों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। विशेषकर अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, यह एक पारंपरिक दिन है, जिसमें प्रेमी युगल एक दूसरे से अपने प्रेम का इजहार वैलेंटाइन कार्ड या फूल देकर करते हैं, क्या हमने कभी यह सोचने या समझने का प्रयास किया कि पूरा देश जिस अंध गति से  इस प्रेम परंपरा के पीछे दौड़ चला है उसके पीछे की असली कहानी क्या है ? .........??   नहीं ना तो आइए आज थोड़ा सा समय निकाले और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर में 14 फरवरी के पीछे का वह सत्य क्या है जिसके पीछे आज पूरी दुनिया पागल सी हुई प्रेम पुजारी बनकर घूम रही है


*फैक्ट नम्बर 1* 

*पहला सत्य* वास्तव में यह एक ईसाई संतों का शहीदी दिवस है, जिन्होंने 200 ईसवी के आसपास ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करने और इसाई धर्म को मान्यता देने में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी, रोम के संत वैलेंटाइन रोम के एक पादरी थे जिनको लगभग 269 ईसवी में शहादत मिली , टेरनी के वैलेंटाइन 197 ईसवी में इन्तेरामना के बिशप बने और कहा जाता है कि औरेलियन सम्राट के उत्पीडन के दौरान उनकी हत्या कर दी गयी थी , संयोग से ये सभी घटनाएं 14 फरवरी के इर्द गिर्द ही हुई थी ।


*फैक्ट नम्बर 2* 

*दूसरा सत्य*  मध्यकालीन कहानियों में रोमानी लोगों की कोई चर्चा नहीं है। उस समय तक एक संत वैलेंटाइन का सम्बन्ध चौदहवीं सदी में प्रेम के साथ जोड़ा दिया गया था , रोम के वैलेंटाइन और टेरनी के वैलेंटाइन के बीच के मतभेद तब तक खत्म हो गए थे ।

रोमन कैथोलिक कैलेंडर के 1969 के संशोधन में, फ़रवरी 14 पर संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाने वाला फीस्ट डे खत्म कर दिया गया, अब केवल  वैलेंटाइन  के नाम के अलावा उनके बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं बचा था  सिवाय इसके की इन्हें फ्लेमिनिया में 14 फरबरी को दफनाया गया था वहां आज भी फीस्ट डे बाल्ज़न (माल्टा) में मनाया जाता है जहाँ ऐसा दावा किया जाता है कि संत वैलेंटाइन के अवशेष यहां मिले हैं । उसके बाद से 14 फरवरी प्रेम दिवस में बदल गया ।


*फैक्ट नम्बर 3* 

*तीसरा सत्य*   एक और कथानक के अनुसार मध्यकालीन एक्टा बीड और लेगेंडा ओरिया में संक्षेप में व्याख्यान दिया गया । उसके अनुसार, सेंट वैलेंटाइन क्रिश्चियन थे जिसके नाते उनका उत्पीडन किया गया और रोम के सम्राट क्लोडिअस द्वितीय के द्वारा व्यक्तिगत रूप से पूछताछ भी की गयी । क्लोडिअस , वैलेंटाइन से प्रभावित थे और उनके साथ चर्चा करने की कोशिश की,  कि रोमन पागानिस्म में उनका धर्मान्तरण हो जाये ताकि उनकी जान बचायी जा सके। वैलेंटाइन ने धर्मांतरण से साफ इनकार कर दिया जिसके बाद वे शहीद हो गए ।


*फैक्ट नम्बर 4* 

*चौथा सत्य*   एक दंतकथा के अनुसार और 'ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन' नाम की पुस्तक के मुताबिक रोम के एक पादरी थे उन्हें भी संत वैलेंटाइन की संज्ञा दी गई थी । वो दुनिया में प्यार को बढ़ावा देने में मान्यता रखते थे. उनके लिए प्रेम में ही जीवन था. लेकिन इस शहर के राजा क्लॉडियस को उनकी ये बात पसंद नहीं थीं. राजा को लगता था कि प्रेम और विवाह से पुरुषों की बुद्धि और शक्ति दोनों ही खत्म होती हैं. इसी वजह से उसके राज्य में सैनिक और अधिकारी शादी नहीं कर सकते थे.

हालांकि, संत वैलेंटाइन ने राजा क्लॉडियस के इस आदेश का विरोध किया और रोम के लोगों को प्यार और विवाह के लिए प्रेरित किया. इतना ही नहीं, उन्होंने कई अधिकारियों और सैनिकों की शादियां भी कराई. इस बात से राजा भड़का और उसने संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी 269 में फांसी पर चढ़वा दिया. उस दिन से हर साल इसी दिन को 'प्यार के दिन' के तौर पर मनाया जाता है. 

कहा जाता है कि संत वेलेंटाइन ने अपनी मौत के समय जेलर की अंधी बेटी जैकोबस को अपनी आंखे दान कीं. संत ने जेकोबस को एक पत्र भी लिखा, जिसके आखिर में उन्होंने लिखा था 'तुम्हारा वैलेंटाइन' । मृत्यु से एक शाम पहले, उनके भावुक प्रेम पत्र में जो अपने अनुयायियों के नाम लिखा जिसके अंत मे उनके हस्ताक्षर के स्थान पर "वैलेंटाइन" लिखा था , प्रेषण में वह पत्र उस युवती के नाम भेजा गया था जिसे उनकी प्रेमिका माना जाता था। 


*फैक्ट नम्बर 5* 

*पाँचवा सत्य*   प्राचीन एथीनियन कैलेंडर के अनुसार, 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच का समय गैमेलियन का महिना होता था, ये समर्पित था जीयस और हारा की पवित्र शादी को। प्राचीन रोम में फरवरी 13 से 15 तक मनाया जाने वाला, एक प्राचीन रिवाज था जो की प्रजनन से जुड़ा था। उनका मानना था कि इन रातों में प्रेम समर्पण से गुणवान संतान प्राप्त होती है। 



*फैक्ट नम्बर 6* 

*छठवा सत्य*  बात चौदहवीं शताब्दी के अंत की है इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकंड की बोहेमिया की ऐन से सगाई की पहली वर्षगांठ के मौके पर राज दरबार द्वारा जनता को धन्यवाद संदेश भेजा गया तो उसमें उन्होंने जिक्र किया कि उनकी शादी के लिए एक संधि पर 2 मई 1381 में हस्ताक्षर हुए थे। किन्तु विविध कारणों से  आठ महीने बाद जब उनकी शादी 14 फरवरी को हुई तो राजा 14 वर्ष के थे और रानी इंगित कर रहा है।


*फैक्ट नम्बर 7*

*सातवां सत्य*   सभ्य प्रेम के रिवाजों के लिए एक "प्रेम का उच्च न्यायालय" की स्थापना पेरिस में 1400 में वैलेंटाइन दिवस पर की गयी। प्यार के अनुबंधों में धोखा और महिलाओं के खिलाफ हिंसा से ये अदालत निपटती थी। जिसके परिणाम स्वरूप 14 फरवरी का प्रभुत्व बढ़ता गया। 



*फैक्ट नम्बर 8*

*आठवां सत्य*  वैलेंटाइन दिवस का जिक्र हेमलेट में वर्ष 1600-1601 में ओफेलिया द्वारा बड़े अफ़सोस के साथ किया गया  है, 1797 में एक ब्रिटिश प्रकाशक ने युवकों के लिये वैलेंटाइन जारी किया, वर्ष 1800 में असली फीते और रिबन की सहायता से सुन्दर वैलेंटाइन का निर्माण होने लगा। वैलेंटाइन भेजने की प्रथा उत्तरी अमेरिका में प्रचलित हो चली थी जो पहले इंग्लेंड में ही मौजूद थी। वैलेंटाइन भेजने की अंग्रेजी प्रथा का वर्णन एलिजाबेथ गास्केल की पुस्तक 'मिस्टर हैरिसंस कंफेशंस' में भी आता है जो 1851 में प्रकाशित हुई थी । 



*फैक्ट नम्बर 9*

*नौवां सत्य*   19 वीं सदी के बाद से, हस्तलिखित नोट्स कि जगह बड़े पैमाने पर उत्पादित होने वाले ग्रीटिंग कार्ड्स ने ले ली है , बीसवीं सदी में अमेरिका में कार्डों के आदान प्रदान कि प्रथा लगभग सभी प्रकार के तोहफों में शामिल हो गयी। इन्हें आमतौर पर एक पुरुष द्वारा एक स्त्री को दिया जाता था। इस प्रकार के तोहफों में गुलाब ,चॉकलेट को एक दिल के आकार वाले डिब्बे में दिया जाता था ।

1980 के दशक में आभूषण उद्योग ने गहने देने के लिए एक अवसर के रूप में वैलेंटाइन दिवस को बढ़ावा देना शुरू किया। "हैप्पी वैलेंटाइन दिवस" की एक सामान्य शुभकामना के साथ इस दिवस को जोड़ा जाने लगा है। एक मजाक के तौर पर, वैलेंटाइन दिवस को "अकेले लोगों के लिये जागरूकता दिवस" का भी नाम दिया गया । उत्तरी अमेरिका के कुछ प्राथमिक स्कूलों में बच्चे कक्षाओं को सजाते हैं, कार्डों का आदान प्रदान करते हैं और मिठाइयां खाते हैं। इन छात्रों के ग्रीटिंग कार्ड्स पर अक्सर इस बात का उल्लेख रहता हैं कि उन्हें एक दूसरे के बारे में क्या अच्छा लगता है।

इस सहस्राब्दी की शुरुआत में इंटरनेट की लोकप्रियता ने हर साल लाखों लोगों को  वैलेंटाइन दिवस की शुभकामना संदेशों को बनाने और भेजने के लिए डिजिटल तरीकों, जैसे की इ-कार्ड, प्रेम कूपन और छपने योग्य ग्रीटिंग कार्ड आदि का इस्तेमाल करना सिखा दिया ।


*फैक्ट नम्बर 10*

*दसवां सत्य*   डेनमार्क और नॉर्वे में, वैलेंटाइन दिवस 14 फरवरी को वेलेंतिन्सदाग के नाम से मनाया जाता है लोग इस दिन अपने साथी के साथ रोमांटिक रात्रि भोज के लिए, अपने गुप्त प्रेम के लिए कार्ड भेजने के लिए और अपने प्रेमी के लिए लाल गुलाब भेजने के लिए निकलते हैं,  स्वीडन में इसको अल जारतांस दाग  "पूर्ण दिल दिवस" कहा जाता है और इसकी शुरुआत पुष्प उद्योग के व्यवसायिक स्वार्थ को साधने के लिए किया गया।  फिनलैंड में वैलेंटाइन दिवस को स्तावनपाईवा ' और एस्टोनिया में सोब्रापायेव ' कहा जाता है और दोनों का ही अर्थ है "मित्रता दिवस" । 

तुर्की में वैलेंटाइन दिवस को सेवजिलिलर गुनू कहा जाता है, जिसका अर्थ है "प्रेयसी का दिवस"।



*फैक्ट नम्बर 11*

*ग्यारहवा सत्य*   भारत में, वैलेंटाइन दिवस का स्पष्ट रूप से विरोध किया जाता है । पुलवामा में आतंकी हमले के बाद तो इस दिन की सूरत ही बदल गयी ,  जितने मैसेज सोशल मीडिया पर वैलेंटाइन डे के देखने को मिलते हैं उससे भी कहीं अधिक मैसेज अब हमारे देश के सैनिकों के सम्मान में उनके बलिदान और निष्ठा के लिए श्रद्धांजलि के रूप में देखने को मिलता है।  भारतीय संस्कृति में वैलेंटाइन दिवस जैसे दिवस का कोई प्रचलन ही नहीं होना चाहिए , यह दिवस पूरी तरह से समाज नाशक है। खासतौर से युवाओं पर इसका बहुत नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 


*फैक्ट नम्बर 12*

*बारहवां सत्य*  वैलेंटाइन डे वर्तमान में ईरान में भी मनाया जाता है हालाँकि सरकार द्वारा इसपर कुछ प्रतिबन्ध लगाये गए हैं जिससे देश की इस्लामिक संस्कृति को बचाया जा सके फिर भी  युवा ईरानियों को इस दिन बाहर निकल कर उपहार खरीदते और जश्न मनाते देखा जा सकता है वहीं सउदी अरब में भी अब तक दो बार वर्ष  2002 और 2008 में धार्मिक पुलिस द्वारा वैलेंटाइन दिवस से सम्बंधित सभी सामानों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी, दुकानदारों से लाल रंग के सभी सामानों को हटाने के लिए कहा गया क्योंकि इस दिन के त्योहार को गैर-इस्लामिक माना जाता है। 



*फैक्ट नम्बर 13*

*तेरहवाँ सत्य*  इतना सब कुछ जान लेने के बाद भी यदि हम या हमारे साथी इस भीड़ में शामिल हो और अस्वस्थ्य जीवन शैली के साथ साथ असभ्य व्यवहार करें तो हम अपना ही भविष्य दांव पर लगाएंगे , प्रेम रक्षा और सुरक्षा का दूसरा नाम है इसे पार्कों में ,चौराहों पर, गलियों में ,स्कूल- कॉलेज में बदनाम नही किया जाता ।


*फैक्ट नम्बर 14*

*चौदहवां सत्य* चलते चलते एक कटु सत्य और बताना चाहता हूँ, हमें अपने घर (देश) की इज्जत बचाये रखनी है तो औरों की खुशामद (पाश्चात्य सभ्यता को अपनाना) करना बंद करना पड़ेगा, इतिहास गवाह है कि खुशामद करने में हमने धन,धर्म,लाज,लज्जा, इज्जत, जोरू और जमीन सब गंवा दी । वो अपनी भीड़ बढाने के लिए हमें अपनी चकाचौध में शामिल कर रहे है और हम हैं कि हम अपना ही भला बुरा नही सोंच पा रहे हैं । .....अब बस ! 


✍️✍️ *आपका - ज्ञान प्रकाश मिश्र "बाबुल" 

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