काश कि मैं एक गुलाब होता
काश कि मै एक गुलाब होता
नेहरू बापू का प्यार होता
होता मै विद्यालय में
होता मै पुष्पालय में
पर कौन जानता विधि विधान को
इसलिय पडा हूँ मदिरालय मे
आते है बस पी पी कर
चल देते है बड बड कर
दुख तो मुझको होता है तब
होंठों से उनके लग लग कर
यदि होते मेरे हाथ पैर
तो कब का निकल गया होता
इस मधुशाला से अच्छा तो
एक गौशाला मे पैदा होता
काश ............................
आगे कि व्यथा सुनो मेरी
क्या सपने उसने दिखाये मुझे
कई रूप होते मेरे
पर यही रूप क्यों मिला मुझे
कॉचों का बनना होता ही
एक दीपक बना दिया होता
एक निर्धन के घर मे रह्ता
एक कोना रोशन होता ही
इससे अच्छा नदियों मे ही
गोता खाकर जिंदा रहता
इस मदिरालय से अच्छा तो
नदियापय मे पैदा होता
काश कि मै एक गुलाब होता
नेहरू बापू का प्यार होता
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