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मेरे जीवन की अल्फाबेट

 तुम मेरे जीवन की अल्फाबेट  तुम प्यारी मेरी कुसुमकली ।  कोई नाम नहीं तेरा प्रियतम  नाजों से मेरे संग खिली  ।।  A से आत्मा मेरी हो  B से बदनों की महक तुम्ही  C चाहे तुमको प्राणों सा  D से दिल की हो धड़क तुम्ही  E इतरा कर बलखा के चली  तुम प्यारी मेरी कुसुमकली  कोई नाम नहीं तेरा प्रियतम  नाजों से मेरे संग खिली  ।।  तुम मेरे जीवन की अल्फाबेट  तुम प्यारी मेरी कुसुमकली ।  F फंगस सा मै चिपका रहूं  G बन जाओ तुम घिबली सी  H हंसती हो तो फूल झरे  I  तुम बनके बिजली सी  J से जिगरा की स्वांस नली  तुम प्यारी मेरी कुसुमकली।। कोई नाम नहीं तेरा प्रियतम  नाजों से मेरे संग खिली  ।।  तुम मेरे जीवन की अल्फाबेट  तुम प्यारी मेरी कुसुमकली । K क्यूं इतना तड़पाती हो  L से लव है तुमसे,  मुझको  M से ममता की मूरत हो  N नॉटी लगती हो मुझको  O ओ!! दिल लेके कहां चली तुम प्यारी मेरी कुसुमकली  कोई नाम नहीं तेरा प्रियतम  नाजों से मेरे संग खिली  ।।...

वो अनकही बात...! The UnTold story...

 "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"। मनुस्मृति के इस श्लोक में बताया गया है कि, जहाँ नारी की पूजा होती है वही देवताओं का वास होता है।  पूजनीय नारी को हमारा समाज इतनी हीन दृष्टि से क्यों देखता है ? की जैसे स्त्री केवल एक काम वासना की चीज है । उसके शरीर और  अंगों की व्याख्या हम अपनी भ्रांतियों के आधार पर क्यों करते है ? जबकि सत्य कुछ और ही है ।  इस लेख में हम स्त्री के शारीरिक ढांचे  से जुड़े ऐसे चार बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे  जिनके बारे में हम आपस में खुलकर न कुछ बोलना और न ही चर्चा करना पसंद करते हैं  ....... इस कारण  लोग सच और भ्रांति (भ्रम ) के बीच झूलते रहते है किंतु विमर्श करने में  होंठ सिल जाते है  हम बात करेंगे स्त्रियों के लिप्स (होंठ ) से लेकर  हिप्स ( नितंब ) तक के कुल चार  विशिष्ट अंगों की , जिनके संबंध में बहुत सारे मिथक समाज में फैले है जिनके डर से स्त्रियां  अपने जीवन के वास्तविक सुख से समझौता कर लेती हैं , किंतु ये लेखक का दावा है कि इस लेख को दो - तीन बार ध्यान से पढ़ने के बाद आपके सारे ...

कैसी लिखी गई हनुमान चालीसा ✍️ How was Hanuman Chalisa written?

हनुमान चालीसा की रचना कैसे हुई भगवान को अगर किसी युग में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तो वह युग है कलियुग। इस कथन को सत्य करता एक दोहा श्री रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कलियुग केवल नाम अधारा । सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।। भावार्थ यह है की कलयुग में मोक्ष प्राप्त करने का एक ही साधन है, और  वो है भगवान का नाम जप । तुलसीदास जी ने अपने पूरे जीवन काल में कोई भी ऐसी बात नहीं लिखी जो तर्कसंगत न हो। ऐसा माना जाता है कि कलयुग में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। तुलसीदास जी ने हनुमान जी की स्तुति में कई रचनाएँ करी है ,  जिनमें हनुमान बाहुक, हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं। हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बहुत जी रोचक घटना है जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो।  आइये जानते हैं हनुमान चालीसा की रचना की कहानी  ये बात उस समय की है , जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर का शासन था।  एक दिन सुबह के  समय  एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए , तुलसीदास जी ने प्रत्युत्तर  में  उसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे द...