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Showing posts from February, 2024

पति; परमेश्वर या दास ?

एक कहावत तो आप सब ने जरूर सुनी होगी कि हर कामयाब इंसान के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है, पर क्या आपने कभी यह सुना है कि हर नाकामयाबी के पीछे स्त्री का हाथ होता है -- शायद नहीं सुना होगा, इस विषय पर मैंने इतिहास को खंगाला और अपने सनातन ग्रंथों का भी अध्ययन किया तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इंसान विशेषकर पुरुष चाहे वह सुर हो या असुर, अमीर हो या गरीब, चाहे जैसा भी हो उसके सुख- दुख,हानि -लाभ,यश-अपयश, कामयाबी - नाकामयाबी में स्त्री एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, शायद इसीलिए स्त्री को देवी और नारी को शक्ति का स्वरूप माना गया है, जो सर्व सिद्धि दात्री है । पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारे सनातन संस्कृति और वैदिक धर्म मे पति को देव या पति को परमेश्वर माना गया है किन्तु क्या उन्हें वह दर्जा मिलता है ? विशेषकर इस आधुनिक युग में , 21वीं सदी में , क्या स्त्रियां अपने पति को परमेश्वर मानती हैं ? आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे तो आइए शुरुआत करते हैं ।  आज भी हमारे समाज में स्त्रियां अपने पति को परमेश्वर मानती हैं, यह सही है, यथार्थ है, कटु सत्य है - अपने पति को देवता मान करके उनक...

एटीट्यूड बदल गया ? CHANGE OF ATTITUDE OR BEHAVIOR

जय हिंद साथियों ,                               क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आपके आसपास रहने वाले लोगों का ,आपके पड़ोसी का ,आपके परिवार का ,आपके रिश्तेदारों का ,आपके मित्रों का एटीट्यूड आपके प्रति बदल गया है ?  यदि आपको वास्तव में ऐसा लगता है , तो एक बार इस शब्द के मूल अर्थ को अवश्य समझ ले ; तभी कोई निर्णय ले , कहीं ऐसा ना हो कि आप भी एटीट्यूड को बिहैवियर समझ लें और ऐटिट्यूड का सही मतलब ही ना पता हो और अपने संबंधों को इग्नोर/नजरअंदाज करने लगे, फिर एक समय के बाद अपना रिश्ता तोड़ ले।  आइए सबसे पहले साधारण शब्दों में एटीट्यूड और बिहेवियर को अलग-अलग समझ लेते हैं ।  सबसे पहले अगर हम बिहेवियर की बात करें तो बिहेवियर को भारतीय भाषा में किसी व्यक्ति के व्यवहार, ढंग और स्वयं को प्रस्तुत करने के तरीके को कहते हैं , उदाहरण के लिए अगर हम इसको और सरल भाषा में समझे तो कुत्ते का व्यवहार है भौंकना , वह प्रत्येक व्यक्ति के लिए हर एक प्रतिक्रिया पर भौंकने का कार्य करता है ,उसके सामने कोई भी पशु -पक्षी, मनुष्य...

जिगना की पाती,जिगना के नाम

पत्र दिनांक - संवत 2080 ,                               बसंत पंचमी आज जब मैं यह लेख लिख रहा हूं तो मेरे चारों ओर बसंत पंचमी के पर्व पर निकले नव किसलय, मुझे अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं , ऐसा नहीं है कि यह नव किसलय पहली बार निकले हैं, प्रत्येक वर्ष ऐसे ही बसंत पंचमी पर नव किसलए आते हैं -- लेकिन उससे पहले पतझड़ इन पेड़ पौधों को अपनी मार से और मौसम अपनी प्रताड़ना से इनको आघात पहुंचा चुके होते हैं , एक लंबे इंतजार के बाद, इन्हें इस सुख की अनुभूति होती है ।   इन चंद शब्दों से आप एक बात तो समझ ही गए होंगे कि हर एक मौसम का एक निश्चित समय होता है , एक निश्चित समय के बाद में समय सबका आता है । मेरे प्रिय जिगना परिवार के साथियों, आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रहा हूं यह शब्द ना सिर्फ आपके व्हाट्सएप पर पहुंच रहे हैं, बल्कि मेरी ब्लॉग पर अगले कई वर्षों तक के लिए अजर अमर होने वाले हैं , मैं नहीं रहूंगा उसके बाद भी यह शब्द वहां पड़े रहेंगे , और आने वाली पीढ़ियां अगर कहीं से इसका लिंक पा जाएंगी ,तो इसे फिर से प...