पति; परमेश्वर या दास ?
एक कहावत तो आप सब ने जरूर सुनी होगी कि हर कामयाब इंसान के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है, पर क्या आपने कभी यह सुना है कि हर नाकामयाबी के पीछे स्त्री का हाथ होता है -- शायद नहीं सुना होगा, इस विषय पर मैंने इतिहास को खंगाला और अपने सनातन ग्रंथों का भी अध्ययन किया तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इंसान विशेषकर पुरुष चाहे वह सुर हो या असुर, अमीर हो या गरीब, चाहे जैसा भी हो उसके सुख- दुख,हानि -लाभ,यश-अपयश, कामयाबी - नाकामयाबी में स्त्री एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, शायद इसीलिए स्त्री को देवी और नारी को शक्ति का स्वरूप माना गया है, जो सर्व सिद्धि दात्री है । पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारे सनातन संस्कृति और वैदिक धर्म मे पति को देव या पति को परमेश्वर माना गया है किन्तु क्या उन्हें वह दर्जा मिलता है ? विशेषकर इस आधुनिक युग में , 21वीं सदी में , क्या स्त्रियां अपने पति को परमेश्वर मानती हैं ? आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे तो आइए शुरुआत करते हैं । आज भी हमारे समाज में स्त्रियां अपने पति को परमेश्वर मानती हैं, यह सही है, यथार्थ है, कटु सत्य है - अपने पति को देवता मान करके उनक...