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Showing posts from 2023

भविष्य को कैसे जाने - HOW TO KNOW OUR FUTURE

  भविष्य को कैसे पढ़े-- एक चर्चा  हर व्यक्ति खुद का या दूसरा को भविष्य जानने को बहुत उत्सुक रहता है तभी तो देश में लाखों ज्योतिष और बाबा मौजूद है। लेकिन क्या सचमुच ही ये लोग आपका भविष्य बताने में सक्षम हैं?   हम आपको बताना चाहते हैं कि ऐसे कौन से तरीके हैं जिससे आप अपना भविष्य जान सकते हो। हो सकता है कि उनमें से कुछ तरीके आप जानते हों लेकिन उसकी गहराई में कभी नहीं गए हों? ज्योतिष विद्या : बहुत से लोग इस विद्या पर विश्वास करते हैं इसलिए पहले हम इस विद्या के बारे में ही बात करते हैं। भारत में लगभग 150 से ज्यादा ज्योतिष विद्या प्रचलित है। कुंडली ज्योतिष, लाल किताब की विद्या, अंक ज्योतिष, नंदी नाड़ी ज्योतिष, पंच पक्षी सिद्धान्त, हस्तरेखा ज्योतिष, नक्षत्र ज्योतिष, अंगूठा शास्त्र, सामुद्रिक विद्या, चीनी ज्योतिष, वैदिक ज्योतिष, टेरो कार्ड आदि। बहुत से विद्वान मानते हैं कि यदि आप लाल किताब, सामुद्रिक शास्त्र, हस्तरेखा ज्योतिष, नक्षत्र ज्योतिष और अंगुठा शास्त्र का गहराई से अध्ययन कर लें तो आपको अपना भविष्य नजर आने लग जाएगा। ज्योतिष विद्या भारत की प्राचीन विद्या है और व्यक्ति का भवि...

तेरा सुरूर - TERA SUROOR

 मैं तुझको पढ़ने की खातिर ,अपनी रात गवां बैठा क्या कहूं तुझे ? क्या लिखूं तुझे? मैं मन की बात गवां बैठा ।।  मैं तुझको पढ़ने की खातिर ,अपनी रात गवां बैठा  न मुखड़ा तेरा चाँद सा हैं, न बलखाती तू नागिन सी । न जुल्फ घनेरी सांझ सी है, न आंखे झील किनारी सी ।। फिर ऐसी तुझमे बात है क्या, मैं अपने होश गवां बैठा ।   मैं तुझको पढ़ने की खातिर ,अपनी रात गवां बैठा । तेरा मुखड़ा फागुन के भोर सा है, तेरी चाल मचलती मछली सी । तेरी जुल्फ पूष के ओस सी है, तेरी आंखे है ध्रुव तारे सी ।। है होंठ तेरे मधुशाला से ,मैं अपनी प्यास गवां बैठा ।  मैं तुझको पढ़ने की खातिर ,अपनी रात गवां बैठा ।। उम्मीदे क्या पालूं तुझसे ,तू एक पराई दौलत है । मैं ठहर गया एक पल जो यहां, प्रियतम तेरी ही बदौलत है ।। बस एक आस है एक प्यास, एक बार लगा ले अंग मुझे । फिर जा घर अपने प्रियतम के, "बाबुल"  न करेगा तंग तुझे ।। सांसे तेरी,तन भी तेरा,   मैं अपने प्राण गवां बैठा । मैं तुझको पढ़ने की खातिर अपनी रात गवां बैठा  ।। क्या कहूं तुझे ? क्या लिखूं तुझे? मैं मन की बात गवां बैठा ।।  मैं तुझको ...

धनतेरस - ALL ABOUT DHANTRYODASHI

धनतेरस  ************** धनतेरस से दीपावली के त्‍योहार का आरंभ माना जाता है। कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी और धन की देवी मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है। इस दिन सोने-चांदी के अलावा बर्तनों की खरीद करते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्‍तुओं में 13 गुना वृ‍द्धि होती है। धनतेरस के त्‍योहार को विधि विधान से मनाने पर आपको वर्ष भर धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।  धनतेरस का महत्‍व =============== पौराणिक मान्‍यताओं में यह बताया गया है कि कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरीजी को विष्‍णु भगवान का अवतार माना जाता है। धनतेरस को उनके प्राकट्योत्‍सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन सोना चांदी खरीदने का भी विशेष महत्‍व होता है और इस अवसर पर दान पुण्‍य करने से आपके संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन से दीपावली के उत्‍सव को मनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। धनतेरस के दिन अपने घर में धनिए के बीज जरूर खरीदकर ला...

कुबूल है- KUBOOL HAI

 हाँ मुझे प्यार है , तुम पर एतबार है  तुम्हे पंक्ति सा साजाता हूँ , शब्द के सृंगार से तुम्हे स्वर से गुनगुनाता हूँ, मात्राओं के हार से  तुम अंतरमन की वीणा हो ,ये हृदय की झंकार है हाँ मुझे प्यार है , तुम पर एतबार है  तुम आंखों से समाती हो, हृदय में छाप सी  क्यों ? सदा मुस्कुराती हो, कल कल के अभिशाप सी  गले लग जा; बावरि, तू गले की हार है हाँ मुझे प्यार है , तुम पर एतबार है   प्रियतम सा मनाता हूँ, तुम्हे मंत्रोच्चार से   सत्कर्म से रिझाता हूँ, मैं शिष्ट सदाचार से   बिगड़ी बनाने वाले , तू ही ओंकार है  हाँ मुझे प्यार है , तुम पर एतबार है  तु प्रिया ,प्रियंका प्रियतम है शोभा तेरी क्या कहना नम्रता सी लिए आरती  वक्षःस्थल में तुम रहना  भौरे सा बाबुल इठलाता, गुंजित मन का उदगार है  हाँ मुझे प्यार है , तुम पर एतबार है  ************************* 09112023060736THU

जाति किसने बांटी , caste divided by Brahmins ?

 पृथ्वी पर जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्म और धर्म के अनुसार ही जाति और वर्णों में बंटता है  इसको सहजता से ऐसे समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति कितना पढ़ा लिखा है ? उसके पास क्या योग्यता है  ? यदि उसके पास लेखन शैली है - तो वह लेखाकार बनेगा , यदि उसके पास श्रम करने की शक्ति है - तो वह श्रमिक बनेगा,  यदि उसके पास तर्कशक्ति है तो उच्च पदस्थ जिला अधिकारी या आईएएस अधिकारी बनेगा , यदि उसके अंदर प्रशासनिक क्षमता है ,लोगों को समझाने की क्षमता है -- तो वह पुलिस का अधिकारी बनेगा,  यदि उसके पास श्रम ,बल ,साहस, शौर्य  है तो वह सेना का अधिकारी,सैनिक बनेगा  -- यह कोई आज की नई व्यवस्था नहीं है जिसको लेकर के भ्रम फैलाया जा रहा है ---  कि जाति और वर्ण की व्यवस्था ब्राह्मणों ने बनाई है यह पुरातन काल से चली आ रही है  यदि किसी वैश्य के घर में कर्मकांडी संतान ब्राह्मण जन्म लेती है तो वह अवश्य ही वैश्य ना हो करके ब्राह्मण कहलाएगा - पूजा जाएगा  किंतु यदि किसी ब्राह्मण के घर में ऐसा बालक जन्म लेता है या ऐसी संतान जन्म लेती है जो अपने कर्म वर्गानुसार ...