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श्री अयोध्या SHRI AYODHYA

"श्री अयोध्या"  नारायण की नगरी है ये ,यही है नारायण का धाम ।  जहाँ में जन्में दसरथ नन्दन, मर्यादा पुरूषोत्तम राम ।। एक कथा है त्रेता की हम आज सुनाते हैं।  हरि, विष्णु भगवान राम के गान गाते हैं।-  गुणगान गाते है  .. दशरथ नन्दन कौशल्या के लाल कहाते हैं। --हरि, विष्णु ......  एक समय था जब पृथ्वी पर पाप बोझ से भारी था   ऋषि पत्नी कैकसी का बेटा रावण अत्याचारी था।।  ब्रह्म कूल में जन्म लिया ब्राम्हण की नाक कटायी थी  जिस कारण कुल दिया बुझा, कारण उसकी ही मायी थी  तीन भाई तो बने राक्षक, अनुज राम गुन गाते है। हरि... ....... दसरथ के घर शेष अंश, मिथिला में शैलकुमारी थी  हरि संग जो रास रचायें, वो भी वही कुवारी थीं।।  एक धनुष था बड़ा पुराना, रावण ने शिव से माँगा था  था हरि अंश का बना हुआ, और बुंधा प्रेम का धागा था ।।  धनुष भंग कर राम जानकी, लखन बराती आते है। हरि........  शुभ घड़ी, लग्न वो आ गयी अभिषेक राम का होना है  बड़े हर्ष साकेत नरेश ने कहा हमें अब सोना है  दो वचन अभी भी कैकेयी के पड़े हुए जो कोने थे  इस...