गजल - सम्बन्ध
सम्बन्धों की तुरपाई में कुछ राज दफन ही अच्छे हैं तुम हमको जानो हम तुमको क्या अब भी हम तुम बच्चे हैं तुम मेरे मेहमा बनकर के मेरी मर्यादा रख लेना न लेना तोहफे ,निशानी भी बस पगड़ी पानी चख लेना बातों की अन बन ही तो है ,रिश्ते तो अपने सच्चे है तुम हमको जानो,हम तुमको,क्या अब भी हम तुम बच्चे हैं बचपन की ठिठोली, गाली भी मिश्री सी मीठी लगती थी वो चाची, काकी बचा लेती ,जब मम्मी पीछे भगती थी मत तोड़ो नाते चटका के ,ये सीसे से भी कच्चे है तुम हमको जानो हम तुमको क्या अब भी हम तुम बच्चे हैं